Coolie Movie Review: सुपरस्टार रजनीकांत का धमाकेदार एक्शन-ड्रामा

Coolie Movie Review: रजनीकांत का मास एन्टरटेनमेंट और लोकैश कनागराज का नया धमाका

भारतीय सिनेमा में जब भी “सुपरस्टार” शब्द बोला जाता है, तो सबसे पहले जो नाम दिमाग में आता है, वो है रजनीकांत। उनका करिश्मा, उनकी स्टाइल और उनकी स्क्रीन प्रेज़ेन्स किसी भी फिल्म को खास बना देती है। ऐसे में जब निर्देशक लोकैश कनागराज जैसे बड़े फिल्ममेकर के साथ उनका कॉम्बिनेशन होता है, तो दर्शकों की उम्मीदें और भी बढ़ जाती हैं। इन्हीं उम्मीदों को पूरा करने के लिए इस साल सिनेमाघरों में आई है Coolie।

यह फिल्म रिलीज़ से पहले ही जबरदस्त चर्चा में थी। ट्रेलर और टीज़र ने दर्शकों को यह संकेत दे दिया था कि यह फिल्म सिर्फ एक मूवी नहीं बल्कि एक शानदार अनुभव होने वाला है। और सच कहा जाए तो, Coolie उस वादे को पूरा भी करती है।

Coolie Movie Plot – कहानी का सार

फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है देवा उर्फ देवराज (रजनीकांत) से। देवा एक करिश्माई शख्सियत है, जो अपने देवा मेंशन नामक जगह को जरूरतमंद छात्रों के लिए सस्ते दरों पर उपलब्ध कराता है। लेकिन जब उसका करीबी दोस्त राजशेखर (सत्यराज) अचानक हार्ट अटैक से मर जाता है, तो कहानी नया मोड़ लेती है।

देवा को असली डेथ सर्टिफिकेट मिलता है और पता चलता है कि मौत प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि एक चोट से हुई थी। यहीं से देवा अपने दोस्त की मौत का सच जानने के मिशन पर निकल पड़ता है।

जांच के सिलसिले में वह विशाखापट्टनम के एक तस्करी गिरोह तक पहुंचता है, जहां साइमन (नागार्जुन) और उसका साथी दयाल (सौबिन शाहिर) गैरकानूनी धंधा चला रहे होते हैं। साइमन और उसकी टीम मृत शरीरों को समुद्र में फेंकने का काम करती थी, लेकिन जब पुलिस ने यह रास्ता बंद कर दिया तो वे राजशेखर की बनाई विशेष कुर्सी का इस्तेमाल करने लगते हैं, जो शव को तुरंत राख में बदल देती है।

राजशेखर की हत्या और इस घातक आविष्कार की सच्चाई सामने लाने के लिए देवा अपनी ताकत और दिमाग दोनों का इस्तेमाल करता है। इसी सफर में उसे अपने अतीत के कुछ रहस्य भी पता चलते हैं, जो अधूरे छूटे हुए थे और अब खत्म करना जरूरी है।

Coolie Movie Review – फिल्म का विश्लेषण

पहला हाफ – फैन सर्विस और स्लो पेस

फिल्म का पहला हिस्सा पूरी तरह से रजनीकांत फैन्स के लिए समर्पित है। इसमें गाने, डांस, पावरफुल पंच डायलॉग्स और रजनी का वो अंदाज़ है, जिसे देखकर फैंस झूम उठते हैं। हालांकि, कई जगह यह हिस्सा थोड़ा लंबा लगता है और कहानी की रफ्तार धीमी हो जाती है। कुछ किरदारों का इंट्रोडक्शन थोड़ा और कॉम्पैक्ट हो सकता था।

दूसरा हाफ – असली धमाका

जहां पहला हिस्सा सिर्फ बिल्ड-अप है, वहीं दूसरा हाफ असली ट्रीट है।

लोकैश कनागराज ने इस बार कहानी कहने का जो तरीका अपनाया है, वो एकदम रोलर-कोस्टर राइड जैसा है। हर कुछ मिनटों में कोई नया ट्विस्ट सामने आता है, कहीं सरप्राइज कैमियो धमाका करते हैं तो कहीं हाई-वोल्टेज एक्शन दर्शकों को सीट छोड़ने ही नहीं देता।

विलन की बात करें तो नागार्जुन ने अपने शांत लेकिन खतरनाक अंदाज़ से पूरी फिल्म पर छाप छोड़ दी। उनका हर सीन यह याद दिलाता है कि असली ताकत हमेशा शोर से नहीं, बल्कि खामोशी में भी छिपी होती है।

और फिर आते हैं सौबिन शाहिर – जिन्हें देखकर लगता है कि डायरेक्टर ने सचमुच सोने पर सुहागा कर दिया। उनकी स्क्रीन प्रेज़ेन्स इतनी अलग है कि फिल्म खत्म होने के बाद भी उनका चेहरा और अंदाज़ दिमाग में बस जाता है।

रचिता राम ने सभी को चौंकाया। उनका एक्शन सीक्वेंस और नैचुरल एक्टिंग फिल्म को ऊंचाई देती है।

उपेंद्र रजनीकांत के साइलेंट मगर स्ट्रॉन्ग राइट-हैंड मैन के रूप में जबरदस्त लगे।

और फिर आते हैं रजनीकांत – जिनकी एंट्री से लेकर क्लाइमैक्स तक, हर सीन में करिश्मा झलकता है। उनका स्क्रीन प्रेज़ेन्स आज भी उतना ही मैग्नेटिक है।

इमोशनल टच

फिल्म में कुछ सीन्स ऐसे हैं जो दर्शकों को भावुक कर देते हैं। खासतौर पर रजनीकांत और सत्यराज के फ्लैशबैक सीक्वेंसेस। दोनों दिग्गज लगभग 40 साल बाद स्क्रीन शेयर करते हैं और यह पल फैन्स के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं।

इसके अलावा फिल्म में रजनीकांत का एक्शन सीक्वेंस भी शानदार है । यह हिस्सा फैंस के लिए नॉस्टैल्जिक अनुभव है।

म्यूज़िक और टेक्निकल्स

अनिरुद्ध का म्यूजिक इस फिल्म की जान है। उनके गाने थिएटर में सीटियां बजवाते हैं और बैकग्राउंड स्कोर एक्शन सीन्स को और भी इम्पैक्टफुल बनाता है। हालांकि इमोशनल सीन्स के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक थोड़ा रिपिटेटिव लगता है।

सिनेमैटोग्राफी और विजुअल्स वर्ल्ड-क्लास हैं। बड़े पैमाने पर शूट हुए सीक्वेंसेस और हाई-ऑक्टेन एक्शन, दोनों ही फिल्म को ग्रैंड फील कराते हैं।

LCU कनेक्शन – या सिर्फ एक स्टैंडअलोन फिल्म?

सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या Coolie लोकैश सिनेमैटिक यूनिवर्स (LCU) का हिस्सा है? फिल्म में “ड्रग” शब्द को काफी चालाकी से डाला गया है, ताकि फैन्स खुद कनेक्शन ढूंढ सकें। हालांकि डायरेक्टर ने फिल्म को इस तरह बनाया है कि इसे चाहें तो LCU का हिस्सा मानें, चाहें तो एक स्टैंडअलोन मूवी की तरह भी एंजॉय करें।

निष्कर्ष – क्यों देखनी चाहिए Coolie

अगर आप रजनीकांत के फैन हैं, तो Coolie आपके लिए एक फेस्टिवल मूवी है। और अगर आप सिर्फ एक अच्छी एक्शन-ड्रामा देखना चाहते हैं, तब भी यह फिल्म निराश नहीं करती।

दमदार एक्शन

सरप्राइज कैमियो

मजबूत विलन

इमोशनल बैकस्टोरी

और सबसे ऊपर – रजनीकांत का करिश्मा

यानी हर उस चीज़ का कॉम्बिनेशन है जो एक मसाला एंटरटेनर से चाहिए।

Coolie सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि रजनीकांत के करियर की सबसे ऊर्जावान फिल्मों में से एक है। यह उनके फैंस के लिए एक तोहफा है और नए दर्शकों के लिए एक शानदार अनुभव।

Sharing Is Caring:

Leave a Comment